गुर्दा है तो शरीर में जान है!!!!!
1 घर में जल शुद्धि के लिए जैसे फिल्टर व आरओ लगे
होते है,
वैसे ही 20 लाख उपकरण आपके दोनों गुर्दों में होते है।
2 हर गुर्दें में स्थित 10 लाख इन शुद्धिकरण इकाइयों
को ‘नेफ्रोन’ कहते
है। इसमें ग्लोमेरूलर (रक्त वाहिनियों का गुच्छा) फिल्टर का काम करता है और सर्पाकार
ट्यूब्यूल्स आरओ का काम करती है, जो घुले हुए अनावश्यक लवणों
को हटा देती है।
3 शरीर में जो सात लीटर पानी होता है, उसकी प्रतिदिन करीब 400 बार छनाई और सफाई होती है।
नेफ्रोन शरीर में पानी की मात्रा सम और स्थायी बनाए
रखने को आवश्कता अनुरूप कम या ज्यादा पानी छानता है। साथ ही जलअल्पता (डिहाइड्रेशन)
पानी के बहाव पर नियंत्रण करता है।
4 शरीर में पानी की कमी या और किसी कारण से रक्तचाप
की कमी होने पर नेफ्रोन का एक सेंसर (जक्स्टा ग्लोमेरूलर एपेरेट्स) ‘रेनीन’ नामक हार्मोन बनाता है, जो रक्तचाप को नियंत्रित करता है।
5 गुर्दे अपने सिर पर स्थित तिकौनी टोपी-जैसी एड्रीनल
ग्रंथि से रेनिन द्वारा सतत संपर्क साधकर रक्त में लवण की मात्रा को नियंत्रित करते
है। ये स्वमं भी लवण क्षय से रोकते है और अधिक मात्रा में होने पर उसे बाहर कर देते
है। ये रक्त में सोडियम और पोटैशियम की मात्रा को सम रखते है।
6 ग्रर्दे शरीर में जल संरक्षण के साथ पानी शुद्धि
करण,
उसमें लवण की मात्रा का नियंत्रण और रक्तचाप नियंत्रत कर शरीर में जल
के बहाव और वितरण में अहम भूमिका निभाते है।
7 ये लाल रक्त कणों को नियेत्रित करने का विलक्षण कार्य
भी करते है। ऑक्सीजन की कमी होने पर गुर्दे एरिथ्रोपोइटीन नामक हार्मोन स्त्राविन
िकरते है,
जो बोन मैरो में लाल रक्त कण निर्मित करने वाली इकाइयों (स्टेम सेल)
को लाल रक्त कण बनाने के लिए प्रेरित और प्रोत्साहित करता है।
8 गुर्दे नष्ट होने पर इसी कारण असाध्य एनीमिया (रिफ्रेक्टरी
एनीमिया) हो जाता है। इसमें एरिथ्रोपोइटीन के समकक्ष दवाइयां देना होती है।
9 डायलिसिस मशीन नेफ्रोन के समकक्ष कृत्रिम उपकरण होता
है,
आर्टिफीशियल किडनी। किडनी फेलियर रोगी का रक्त इस मशीन में भेजकर साफ
और शुद्ध किया जाता है। इसको ही डायलिसिस कहते है। किडनी फेलियर के रोगी नियमित डायलिसिस के सहारे वर्षों तक सामान्य जीवन
जी सकते है।
Kidney Ke Bare Me Rochak Tathya Aur Jankari
Reviewed by Shubham Chauhan
on
नवंबर 23, 2017
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